दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र को छह सप्ताह में दरभंगा एम्स के लिए आवंटित दूसरी जमीन की व्यवहार्यता पर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण के लिए आवंटित जमीन की व्यवहार्यता पर विचार किया जा रहा है।

 

उन्होंने पीठ से कहा कि इस मामले में सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। हालांकि देरी से जवाब दाखिल किए जाने के चलते सरकार का जवाब अदालत के रिकॉर्ड पर नहीं आ सका। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया। केंद्र सरकार से छह सप्ताह के भीतर दरभंगा में एम्स के लिए आवंटित दूसरी जमीन की व्यवहार्यता पर विचार करने और समुचित निर्णय लेकर अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।

 

वहीं केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि बिहार के दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान सस्थान (एम्स) बनाने के लिए आवंटित दूसरी जमीन की व्यवहार्यता पर विचार कर रहे हैं और इसके लिए विशेषज्ञों का दल मौके का मुआयना भी कर रहा है। केंद्र सरकार ये जानकरी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दी।

 

दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनाने की मांग को लेकर याचिका दाखिल करने वाले संगठन की ओर से अधिवक्ता राजीव शंकर द्विवेदी ने पीठ से सरकार को एम्स के लिए सहरसा में आवंटित जमीन की व्यवहार्यता पर विचार करने का भी आदेश देने का आग्रह किया। इसपर पीठ ने कहा कि अभी फिलहाल हम इस बारे में आदेश नहीं दे सकते। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई 23 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

 

दरअसल, पटना के बाद बिहार में एक और एम्स बनना है। इसके लिए पहले, दरभंगा मेडिकल कॉलेज की जमीन को एम्स के लिए आवंटित कर दिया गया था। लेकिन विशेषज्ञों की टीम ने यह कहकर मना कर दिया कि यहां पहले से भीड़ है। इस बीच 2016 में सहरसा के तत्कालीन जिलाधिकारी ने मतस्यगंधा परियोजना के पास 216 एकड़ जमीन आवंटित कर दी। हालांकि बाद में दरभंगा में ही एम्स के लिए 150 एकड़ जमीन आवंटित किया गया और कहा गया कि बाद में 35 एकड़ जमीन और दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट कोशी विकास संघर्ष मोर्चा, सहरसा की ओर से अधिवक्ता राजीव शंकर द्विवेदी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई कर रही है। याचिका में केंद्र सरकार को दरभंगा के बजाय सहरसा में एम्स बनाने का आदेश देने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि दरभंगा में पहले से ही उच्चस्तरीय मेडिकल कॉलेज होने के साथ ही स्वास्थ्य संसाधन बेहतर है। यदि सहरसा में एम्स बना तो पूरे कोशी क्षेत्र के लाखों लोगों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलेगा।

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